mausam मोसम
हवा भीनी भीनी और महेकी फिजा है
ऐसे मोसम में तू जाने कहाँ है
बेकरार दिल की यह सदा है
आ जा -आ जा तू चाहे है ----
गुलशन में खिले जो बहार है
महेके महेके फुल बेसुमार है
इस हसी खूबसुरत नजारों में
बस एक तेरा इन्तेजार है
दिल क्यों न बहेके जब दिल जवां है ----
बसी है तू मेरी सासों में
आ तुझ को लेलु अपनी बाहों में
तुझ से मै खूब प्यार करू
इन सर्द सर्द हवाओ में
यह चली जो सर्द हवा है ----
जब मोसम हुआ इतना सुहाना
तो दिल क्यों न हो दीवाना
हम प्यार में होकर मस्त
ख़ुशी में झूम कर गाय तराना
हम को जो दीवाना बनाय
उस मोसम की क्या अदा है
हवा भीनी भीनी ---------
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