कही कुछ न मिला
हम भटके दर -बदर
या खोवाजा आ कर तेरे दर
बन गया मेरा मुकद्दर
सभी पर है आप का करम
मुफलिस हो या सिकंदर
या खोवाजा आप है शाह
आप है मस्त कलंदर
कही कुछ न ---
हर तरफ था अँधेरा
गरीबो का हाल था बदतर
या खोवाजा किरन जगमगाने लगी
आप आय जब अजमेर के अन्दर
कही कुछ न ------
आप की बड़ी करामत देख कर
फरिस्ते भी यहा लगाते है चक्कर
या खोवाजा दिल तड़प उठता है
देख कर यहा का हसी मंजर
कही कुछ न ------
No comments:
Post a Comment